May 2, 2024, 04:19 PM IST

कैसे विलुप्त हो गया ये भारतीय धर्म, Buddha और Jain के साथ ही हुआ था शुरू

Aditya Prakash

हम इस धर्म के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो बौद्ध और जैन धर्म के समकालिन था.

आजिविकों के मुताबिक मानव आत्मा का अवतरण होता है, ये अवतरण नियति द्वारा निर्धारित होता है, मुक्ति महज एक भ्रम है.

उनके मुताबिक जिंदगी धागे के गोले की तरह है. पता नहीं होता कि एक परत के बाद धागा किस रंग का होगा. जीवन में भी की ऐसा ही होता है.

आजीविकों का मानना था कि सब कुछ पहले से तय है. इसे मूल रूप से नियतिवाद कहते हैं. 

इनका मानना था कि जो भी करना है कर लो लेकिन होगा वही जो लिखा जा चुका है. ये कर्म के सिद्धांत को सीधे-सीधे नकारते थे.

आजीविकों के गायब होने का सबसे बड़ा कारण मौर्य काल में उनपर हुए हमले थे.

माना जाता है कि थोड़े-बहुत आजीविक बचे भी थे वो मध्यकाल में खत्म हो गए. इस तरह से ये संप्रदाय विलुप्त हो गया.