Jun 15, 2024, 09:20 PM IST

देवदासियों की जिंदगी के ये 5 सच जान दांतों तले ऊंगली दबा लेंगे

Smita Mugdha

भारत में देवदासी प्रथा पर अब पूरी तरह से कानूनी रोक लगा दी गई है. 

आजादी के बाद भी दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में देवदासी प्रथा थी. 

ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर माना जाता है कि देवदासी प्रथा की शुरुआत भारत में लगभग छठी शताब्दी से थी. 

सोमनाथ, ओडिशा, तमिलनाडु समेत कई प्राचीन मंदिरों में देवदासी होती थीं. जानें इनके बारे में 5 तथ्य.

देवदासी वो कुमारी लड़कियां होती थीं जिनका विवाह ईश्वर से किया जाता था और फिर उन्हें बाकी की जिंदगी मंदिर में ही बितानी होती थी.

देवदासियों का काम मंदिर की साफ-सफाई, खाना बनाना और मंदिर की देखभाल से जुड़ी जिम्मेदारियां निभाना होता था.

मंदिरों में आने वाले धनी लोगों, राजाओं के लिए देवदासियों को भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, मोईनीअट्टम जैसे नृत्य करना होता था.

इसके बदले में उन्हें कुछ उपहार, पैसे और अनाज मिलता था. कुछ देवदासियों को खास तोहफे भी मिलते थे.

देवदासियों की जिंदगी मंदिर के दायरे तक ही सीमित होती थी और सामान्य जीवन से उनका कोई नाता नहीं था.