इतना ही नहीं इस खूबसूरत मुस्लिम तवायफ से 3 लोगों ने शादी की थी, जिसमें दो हिंदुओं ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था
ये थी जद्दनबाई , जिनका जन्म साल 1892 में बनारस में जन्मीं थीं. उनकी मां दिलीपा बाई इलाहाबाद की मशहूर तवायफ थीं .
दिलीपा बाई के कोठे पर देह व्यापार नहीं होता था, बल्कि सिर्फ गीत-संगीत की महफिलें सजा करती थीं.
जद्दन बाई बड़ी हुईं तो अपनी मां की विरासत संभाली और शोहरत में उनसे भी आगे निकल गईं. और इनके चर्चा दूर तलक पहुंचने लगा.
जद्दन बाई से सबसे पहले गुजरात के मशहूर व्यवसायी नरोत्तम दास ने की थी और इसके लिए उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया था.
दोनों ने शादी की और बेटा हुआ जिसका नाम अख्तर हुसैन रखा. लेकिन कुछ वक्त बाद ही नरोत्तम दास जद्दन को छोड़ दिए.
वह अकेले अपने बेटे का पालन पोषण करती रहीं और कोठा भी चलती रहीं. इसी दौरान हारमोनियम मास्टर उस्ताद इरशाद से दूसरी शादी कर ली. इससे उन्हें दूसरा बेटा हुआ.
ये भी शादी ज्यादा दिन नहीं चली और दोनो अलग हो गए और जद्दन बाई ने बनारस छोड़ कोलकाता में अपना कोठा खोल लिया.
यहां जद्दन बाई की मुलाकात मोहन बाबू से हुई, जो एक अमीर परिवार से थे और डॉक्टरी पड़ने लंदन जाने वाले थे.
वह जद्दन पर लट्टू हो गए और शादी की जिद पकड़ ली. 4 साल बाद जब मोहन बाबू लंदन से लौटे तब भी अपनी जिद पर अड़े रहे.
हारकर जद्दन बाई ने उनकी बात मान ली और मोहन बाबू ने भी इस्लाम कबूल कर जद्दन को बेगम बना लिया
साल 1929 में दोनों की एक बेटी नरगिस हुई, जो आगे चलकर बॉलीवुड स्टार बनीं,