महिला पुजारी जो विवाह भी कराती हैं और मंदिर भी संभालती हैं
Ritu Singh
आज आपको उन महिला धर्मगुरुओं को बारे में बताएंगे जो विवाह कराने से लेकर मंदिर तक को संभालने की जिम्मेदारियां निभाती हैं.
दीया मिर्जा और वैभव रेखी की शादी महिला पुजारी शीला अट्टा ने कराई थी. बता दें दीया की ये शादी बिना कन्यादान के हुई थी.
42 वर्षीय शारदाबाई गुराओ हनुमानजी के मंदिर में नियमित आरती वर्षों से करती आ रही हैं.
महाराष्ट्र के बोरेगांव में वर्षों से एक महिला पुजारी हनुमानजी की पूजा-अर्चना कर रही हैं.
कोलकाता की नंदिनी भौमिक कन्यादान और पिरी घोरानो जैसी रस्मों के बगैर ही शादियां करवाती हैं.
नंदिनी पेशे से जादवपुर यूनिवर्सिटी में संस्कृत प्रोफेसर हैं. नंदिनी संस्कृत के कठिन श्लोकों को बंगाली और अंग्रेजी में पढ़ती हैं, ताकि दुल्हन-दूल्हा उसके मतलब समझ सकें.
तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र के लिंगा भैरवी मंदिर में केवल महिला पुजारी हैं. भैरागिनी मां के नाम से जानी जाती हैं.
बिमलाबाई 15 साल से बांके बिहारी मंदिर की सेवा कर रही हैं. उनकी सेवा को देखते हुए उन्हें जनवरी 2018 में पुजारी की मौत के बाद पुजारी के पद पर नियुक्त किया गया है.