Nov 12, 2024, 08:43 AM IST
तवायफों की जिंदगी के दर्दनाक पल, तकलीफ जान रो पड़ेंगे
Smita Mugdha
भारतीय कलाओं और संस्कृति के संरक्षण के इतिहास में तवायफों का अहम योगदान माना जाता है.
तवायफों के कोठे पर कलाएं फलती-फूलती थीं और समाज के हर हिस्से से कद्रदान पहुंचते थे.
तवायफों के कोठों को रोशनी, खूबसूरती, नृत्य और कलाओं के साथ ही अदब की दुनिया के लिए भी जाना जाता था.
हालांकि, यह उनकी जिंदगी का पूरा सच नहीं था और कोठों की कुछ तल्ख हकीकत भी होती थी.
तवायफों के कोठे पर रहने वाली हर महिला की हैसियत एक जैसी नहीं थी और कुछ तो दासी बनकर ही रह जाती थीं.
कई बार तवायफों को मासिक धर्म के दौरान भी काम करना पड़ता था तो कुछ को घंटों रियाज करना पड़ता था.
कभी-कभी तवायफें गर्भवती हो जाती थीं लेकिन ज्यादातर उनके बच्चे उनसे दूर कर दिए जाते थे.
कुछ तवायफों के पास ही बेशुमार दौलत होती थी और कोठे पर रहने वाली ज्यादातर लड़कियों के हिस्से कुछ नहीं आता था.
तवायफों की जिंदगी के ये कुछ ऐसे पहलू थे जो अपने-आप में बेहद दर्दनाक थे.
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