Sep 27, 2024, 02:08 PM IST

साड़ी के साथ पहले नहीं पहना जाता था ब्लाउज, जानें पूरा इतिहास

Smita Mugdha

हमारे देश में साड़ी स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाती है औ हर क्षेत्र और आय वर्ग की महिलाएं इसे पहनती हैं.

साड़ी पहनने की परंपरा प्राचीन भारतीय संस्कृति की पहचान है और ब्लाउज इसका अभिन्न अंग हैं. 

आज साड़ी और डिजाइनर ब्लाउज फैशन स्टेटमेंट है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साड़ी के साथ ब्लाउज का चलन काफी नया है. 

बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में ब्रिटिश राज से पहले कई जगहों पर बिना ब्लाउज के साड़ी पहनी जाती थी. 

जब ब्लाउज का चलन नहीं था, तब साड़ी को ही लपेटकर बदन के ऊपरी हिस्से को ढंका जाता था. 

विक्टोरियन जमाने में बिना ब्लाउज की साड़ी पहनना खराब माना जाता था. उसके बाद जनानदानंदिनी देबी ने ब्लाउज की शुरुआत की. 

जनानदानंदिनी देबी रवींद्र नाथ टैगोर के भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी और पहली बंगाली महिला मानी जाती हैं जिन्होंने ब्लाउज पहना था.

इसके बाद टैगोर परिवार में महिलाओं ने साड़ी के साथ ब्लाउज पहनना शुरू किया था और अब यह अभिन्न हिस्सा बन गया है.

इस तरह से भारत में साड़ियों के साथ ब्लाउज पहनने की शुरुआत हुई, जिसका आज हम डिजाइनर रूप देखते हैं.