Dec 28, 2023, 09:51 PM IST
विपश्यना यानी ध्यान का तरीका जिससे होता है तन-तन शुद्ध
Anurag Anveshi
विपश्यना ध्यान करने की एक भारतीय विधि है, जिसकी खोज तकरीबन 2500 साल पहले गौतम बुद्ध ने की थी.
क्या है विपश्यना
गौतम ने ध्यान की इसी विधि से बुद्धत्व पाया था और इसकी सरलतम विधि आम लोगों के बीच पहुंचाई थी.
गौतम बुद्ध
विपश्यना शब्द का अर्थ है: विशिष्ट प्रकार से देखना. यानी जो चीज जैसी है, उसे उसके असली रूप में देखना.
विपश्यना का अर्थ
लुप्त हो चुकी इस विद्या को सन् 1969 में सत्यनारायण गोयनका (अब दिवंगत) इसे म्यांमार से भारत लेकर आए.
लुप्त विद्या की वापसी
आनापान दो शब्दों आन और अपान से बना है. आन मतलब आनेवाली सांस. अपान मतलब जानेवाली सांस.
क्या है 'आनापान'
विपश्यना में संवेदनाओं पर ध्यान लगाया जाता है. शरीर के हर हिस्से में हर वक्त संवेदनाएं पैदा होती रहती हैं.
संवेदनाओं पर ध्यान
संवेदनाओं से न राग पालना है, न द्वेष. संवेदना सुखद हो या दुखद ध्यान- समता और संतुलन की स्थिति में रहना है.
तटस्थ भाव
वर्तमान में जीने का अभ्यास कराती है विपश्यना. हम वर्तमान को समता में देखते हैं. मन में विकार नहीं पैदा होता.
आत्म-निरीक्षण
हालात मन की शांति भंग नहीं कर पाते. समता भाव में स्थित होना ही निर्वाण है. इन्सान हर स्थिति में संतुलित रहता है.
विपश्यना का लाभ
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