Aug 10, 2024, 10:14 AM IST

तवायफ बनने के लिए लड़कियों को निभानी पड़ती थीं ये 3 रस्में

Nitin Sharma

इतिहास में तवायफों का जिक्र मिलता है, जहां राजा महाराजा अपने राजकुमारों को उनके पास तहजीब सिखाने के​ लिए भेजते थे. 

राजा महाराजाओं का भी तवायफों के पास आना जाना रहता था. बहुत से राजाओं का तवायफों के पास जाना शौक होता था. 

हालांकि कोई भी महिला ऐसे ही तवायफ नहीं बनती थी. इसके लिए लड़कियों को 3 बड़ी रस्मों से गुजरना पड़ता था.

इसमें बहुत खास और बड़ी रस्में मिस्सी, अंगिया और अंतिम मुजरा थी.  

अंतिम मुजरा का मतलब एक तरह से नथ उतराई की रस्म थी. इसमें एक लड़की की बोली लगना त्योहार की तरह था. यहां लड़की की बोली लगाई जाती थी. इसके बाद वह एक मर्द के प्रति समर्पित हो जाती थी.

तवायफों में एक अंगिया रस्म होती थी. इसमें जब लड़की बचपने से किशोरावस्था में कदम रखने के बाद अंगिया की रस्म होती थी.

इसमें तवायफे एकत्र होकर लड़की को अंग वस्त्र पहनाती थीं. यह तवायफ बनने का पहला कदम होता था.

तवायफ बनने वाली लड़कियों के लिए मिस्सी एक खास रस्म होती थी. इसमें लड़की के दांतों को एक खास पाउडर से काला किया जाता था.

इस रस्म में सिर्फ कोठे पर मौजूद महिलाएं ही होती थी, जो दांतों को काला कर डांस और गाना गाया करती थी.