Sep 29, 2024, 03:06 PM IST
सिर्फ कुछ ही महीनों में शिकार करने लगते हैं दुर्लभ व्हाइट टाइगर
Smita Mugdha
सफेद बाघ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस है. आनुवांशिक बीमारी की वजह से इनका रंग सफेद होता है.
ऐसा माना जाता है कि सफेद बाघ दूसरा सबसे बड़ा बाघ है और इनकी चुस्ती-फुर्ती काफी ज्यादा होती है.
सफेद बाघ आम तौर पर अकेले रहना पसंद करते हैं और इनकी औसत आयु 11 से 20 साल तक की होती है.
सफेद बाघ के शावक बहुत कम उम्र से ही शिकार करने लगते हैं और 18 महीने से ही इसके लिए ट्रेनिंग दी जाती हैं.
हालांकि, शावक अपनी मां के साथ ही शिकार के लिए निकलते हैं और 2 साल की आयु होने पर शिकारी बन जाते हैं.
एक सफेद बाघ तीन से चार वर्ष की आयु में वयस्क हो जाता है और इनका वजन 309 पाउंड से 660 पाउंड के बीच होता है.
सफेद बाघ के उजले रंग के शरीर पर धारियों के अलावा सबसे आकर्षक होता है इनकी नील आंखें.
सफेद बाघ स्वभाव से अंतर्मुखी होते हैं और अक्सर अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं.
भारत में यह बाघों की दुर्लभ प्रजाति हैं और इसलिए इनके संरक्षण के लिए कई तरह की मुहिम चलाए जा रहे हैं.
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