Sep 9, 2024, 05:57 PM IST

महाभारत में अर्जुन को इस मणि से मिला था जीवनदान, मरकर हो गए थे जिंदा

Smita Mugdha

महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा लेकर अर्जुन विभिन्न राज्यों को देखते हुए मणिपुर पहुंचे थे. 

जब उनके बेटे बभ्रुवाहन को पता चला, तो वह पहुंचा लेकिन अर्जुन ने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए युद्ध करने कहा था. 

बभ्रुवाहन ने उलूपी के बहकावे में आकर भीषण युद्ध छेड़ दिया और उसका छोड़ा तीर सीधे अर्जुन के सीने पर जा लगा था. 

पुत्र के हाथों पति का वध किए जाने के बारे में जानकर अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा ने उन्हें दोबारा जिलाने का संकल्प लिया था. 

 चित्रांगदा ने अर्जुन के सीने पर संजीवनी मणि रख दी, जिसके बाद वह फिर से जीवित हो उठे.

उलूपी ने बताया कि छल पूर्वक भीष्म का वध करने के चलते वसु अर्जुन ने अर्जुन को मृत्यु का श्राप दिया था. 

इसलिए उलूपी ने मोहिनी माया के जरिए अर्जुन का वध कराया, ताकि वह संजीवनी मणि से जीवित हो सकें. 

इसके बाद अर्जुन ने अपना अश्वमेघ यज्ञ निर्विघ्न पूरा हो पाया और वह वसु को दिए श्राप से भी मुक्त हो गए थे.

महाभारत की कथा में संजीवनी मणि का इस लिहाज से महत्वपूर्ण स्थान है.