श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताए थे मनुष्य के सर्वनाश के ये कारण
Kuldeep Panwar
महाभारत का युद्ध महज धर्म और अधर्म के बीच का युद्ध नहीं था बल्कि यह चचेरे भाइयों कौरवों-पांडवों के बीच की लड़ाई भी थी. युद्धभूमि में दोनों सेनाओं की तरफ से मौजूद योद्धा आपस में रिश्तेदार थे.
अपने सगे-संबंधियों को युद्ध में सामने देख भावुक हुए अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश दिया था, जो भगवदगीता के तौर पर संरक्षित है. इसके उपदेश आम जीवन में आज भी उतने ही प्रभावी हैं.
जीवन का सार कहलाने वाले गीता उपदेश में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो बातें कहीं थीं. माना जाता है कि उनके जरिए श्रीकृष्ण ने पूरी मानव जाति का कल्याण करने वाले मंत्र दिए थे.
अर्जुन ने श्रीकृष्ण से मनुष्य के विनाश का कारण पूछा था तो उन्होंने कहा था कि सामान्य पुरुष विषय का ध्यान करता है और यह ध्यान उसे आसक्त बना देता है.
श्रीकृष्ण ने कहा था कि यह आसक्ति मनुष्य के जीवन में काम को जन्म देती है. जब काम की पूर्ति नहीं होती तो मनुष्य क्रोधी बन जाता है.
श्रीकृष्ण ने आगे कहा था कि क्रोधी बनने पर मनुष्य की आसक्ति विषय के प्रति और ज्यादा बढ़ जाती है. जब यह मोह बढ़ जाता है तो मनुष्य सोचने-समझने की शक्ति खो देता है.
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, जब मनुष्य की सोचने-समझने की शक्ति उसका साथ छोड़ देती है तो बुद्धि का नाश हो जाता है. बुद्धि के नाश के साथ ही मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है.
मान्यता है कि श्रीकृष्ण से गीता के ये उपदेश सुनने के बाद अर्जुन का युद्ध मैदान पर अपनों के प्रति छाया मोह भंग हो गया और वह युद्ध के लिए तैयार हो गए.
श्रीकृष्ण के गीता के ये उपदेश महज अर्जुन नहीं बल्कि संपूर्ण मनुष्य जाति के लिए थे और आज भी उतने ही प्रभावी हैं. इन उपदेशों को अपनी जिंदगी में शामिल कर कोई भी जीवन की मुश्किलें दूर कर सकता है.