Sep 3, 2024, 01:42 PM IST

क्या थी भीष्म पितामह की आखिरी इच्छा?

Aman Maheshwari

महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह कौरवों की तरफ से शामिल हुए थे. पांडवों के लिए उनसे युद्ध करना आसान नहीं थी.

भीष्म पितामह उम्र में काफी बड़े थे और रिश्ते में सम्मानीय भी थे. उनके पास इच्छा मृत्यु का वरदान भी था. यानी जब तक वह नहीं चाहेंगे उनकी मृत्यु नहीं होगी.

युद्ध में भीष्म पितामह को अर्जुन ने अपने बाणों से घायल कर शैय्या पर लिया दिया था. वह बाणों की शैय्या पर लेटे रहे थे.

उन्हें अपने पिता शांतनु से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था. उनकी आखिरी इच्छा के कारण वह 58 दिनों तक बाणों की शैय्या पर रहे थे.

भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण काल की प्रतिक्षा की थी जो 58 दिनों के बार शुरू हुई थी. उत्तरायण काल में ही उन्होंने इच्छा से प्राण त्यागे थे.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्तरायण काल को बहुत ही शुभ माना जाता है. इस समय मृत्यु से स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.