May 9, 2024, 01:18 AM IST

महाभारत में भीष्म पितामह के गुरु कौन थे?

Kuldeep Panwar

भीष्म पितामह को महाभारत में सबसे अहम माना जाता है, जिनकी अविवाहित रहने की कसम ने हस्तिनापुर राजवंश की पूरी कहानी बदल दी थी.

भीष्म पितामह कौरवों और पांडवों के दादा लगते थे. वे कौरवों के पिता धृतराष्ट्र और पांडवों के पिता पांडु के पिता के बड़े भाई थे.

भीष्म पितामह हस्तिनापुर के राजा शांतनु के पुत्र थे, जिनका जन्म शांतनु की पटरानी और पवित्र गंगा नदी की मानस रूप गंगा से हुआ था.

भीष्म का असली नाम देवव्रत था. वे पिछले जन्म में द्यौ नामक वसु (देवता) थे, जिन्हें महर्षि वशिष्ठ के श्राप के कारण धरती पर जन्म लेना पड़ा था.

महर्षि वशिष्ठ ने किसी बात पर क्रोधित होकर द्यौ को धरती पर इंसानी रूप में पैदा होने और पूरी उम्र अविवाहित रहने का श्राप दिया था. 

एक बार शिकार के समय शांतनु की मुलाकात हरिदास केवट की पुत्री मत्सयगंधा (सत्यवती) से हुई, जिसकी सुंदरता पर वे मोहित हो गए थे.

शांतनु के सत्यवती से विवाह करने की इच्छा जताने पर हरिदास ने शर्त रखी कि सत्यवती का बेटा ही उनकी राजगद्दी का उत्तराधिकारी होगा.

शांतनु ने इंकार किया पर व्याकुल रहने लगे. देवव्रत को पता लगा तो उन्होंने हरिदास के पास जाकर गंगा जल हाथ में लेकर ताउम्र अविवाहित रहने की शपथ ली.

इसी कठिन प्रतिज्ञा के कारण देवव्रत का नाम भीष्म हो गया. राजा शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का आशीर्वाद दिया था, जो महाभारत के युद्ध में काम आया था.

राजा शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र चित्रांगद व विचित्रवीर्य हुए. विचित्रवीर्य की पत्नी ने महर्षि व्यास से संसर्ग द्वारा धृतराष्ट्र व पांडु को जन्म दिया था.

भीष्म पितामह को शास्त्रों की शिक्षा देवताओं के गुरु बृहस्पति ने और शस्त्रों की शिक्षा स्वयं भगवान परशुराम ने दी थी. ये दोनों ही उनके गुरु थे.

भीष्म पितामह ने 18 दिन के महाभारत युद्ध में 10 दिन कौरव सेना की कमान संभाली. इस दौरान कौरवों की जीत होती रही थी. 

भीष्म ने किन्नर शिखंडी को स्त्री मानकर उसके ऊपर तीर ना चलाकर धनुष रख दिए थे, तब अर्जुन ने उन्हें अपने तीरों से शरशैय्या पर लिटाया था.

भीष्म शरशैय्या पर 58 दिन तक जिंदा रहे थे. सूर्यदेव के दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर उन्होंने पिता के इच्छा मृत्यु वरदान से प्राण त्यागे थे.

भीष्म मरने के बाद एक बार फिर तब जिंदा हुए थे, जब गांधारी के आग्रह पर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत के सभी योद्धाओं को जिंदा किया था.

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