Jul 12, 2024, 09:30 AM IST

देवताओं की तरह होती है इस राक्षस की पूजा, घरों पर देता है पहरा

Nitin Sharma

हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि वह आपकी रक्षा करने के साथ ही मनोकामना पूर्ण करते हैं.

वहीं राक्षसों को घर और नजरों से दूर रखा जाता है. इसकी वजह राक्षसों की नकारात्मकता होती है, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को तहस नहस कर देती है. 

लेकिन शास्त्रों में एक ऐसे राक्षस का वर्णन भी मिलता है, जिसकी पूजा देवताओं की तरह होती है. यह राक्षस मंदिर और घरों की रक्षा के लिए पहरा देता है. 

इस राक्षस की फोटो लोग घरों के बाहर भी लगाते हैं. जिसकी उत्पत्ति भगवान शिव के एक कण से हुई है. इस राक्षस का नाम कीर्तिमुख है.

धार्मिंक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे. उस समय राहु ने महादेव के सिर पर सजे चंद्र को ग्रहण लगा दिया. 

इसे देखते ही भगवान शिव बेहद क्रोधित हुए. वहीं राहु भी अपनी शक्तियों की घमंड में चूर था. 

गुस्से में महादेव की तीसरी आंख खुल गई. महादेव ने राहु को मारने के लिए अपने ही एक कण से कीर्तिमुख की उत्पत्ति की.

महादेव ने कीर्तिमुख को उत्पन्न कर राहु को खाने का आदेश दिया. कीर्तिमुख जैसे ही राहु के पीछे लगा. राहु ने महादेव के पैरों में गिरकर गलती मान ली. 

इससे महादेव पिघल गये और उन्होंने राहु को माफ कर फिर से ध्यान में बैठ गये. इस पर कीर्तिमुख ने भगवान से कहा मैं बहुत भूखा हूं. अब किसको खाऊं. 

ध्यान में लीन हुए महादेव ने कहा तुम खुद को ही खा लो. यह कहते ही राक्षस कीर्तिमुख ने खुद को खाना शुरू कर दिया. 

जैसे ही महादेव का ध्यान टूटा तो उन्होंने देखा कि कीर्तिमुख अपने पूरे शरीर को खा गया. सिर्फ हाथ और मुख बचा था. 

यह देखकर शिवजी प्रसन्न हो गये. उन्होंने कीर्तिमुख को वरदान दिया कि तुम जिस भी जगह विराजमान किये जाओंगे. वहां तुम नकारात्मकता को खत्म कर दोगे. 

वहां के द्वेश और क्रोध को खा जाओंगे. तभी से कीर्तिमुख को देवताओं से बढ़कर माना जाता है. उसके मुख को घर से लेकर मंदिर के दरवाजे पर लगाया जाता है.