आचार्य चाणक्य सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री होने के साथ ही प्रशासनिक गुरु थे, जो भी व्यक्ति चाणक्य की नीतियों का पालन करता है. उसे सफलता मिलनी तय है.
चाणक्य की नीतियों का पालन कर व्यक्ति जीवन में सही मार्ग पर चलने के साथ ही लाभ प्राप्त करता है.
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को दूसरों की गलती से सीखना चाहिए. अगर आप अपनी गलती से सीखते हैं तो उम्र कम पड़ जाएगी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अधम लोग धन की इच्छा करते हैं. मध्य के लोग धन के साथ मान की इच्छा भी करते हैं. श्रेष्ठ लोग वो होते हैं जो जनमान की इच्छा करते हैं.
गन्ना, पानी दूध या कन्दमूल, फल पान और दवाईयों का सेवन करने के बाद भी दान और धर्म से जुड़े काम किये जा सकते हैं.
दीपक अंधकार को खाता है और उससे काजल निकालता है. ठीक इसी तरह जो जैसा अन्न खाता है. उसकी संतान वैसी ही होती है.
लकड़ी, पत्थर या धातु पर श्रद्धा भाव से ही कार्य करना चाहिए. वैसी श्रद्धा रखने वाले पर ही भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
मिट्टी काठ या पत्थर में देवता नहीं होते. देवता उस श्रद्धा भाव में होते हैं, जिसके कारण इनकी पूजा होती है.