May 8, 2024, 05:38 PM IST

महापाप के भागी भीष्म ने द्रौपदी का चीरहरण न रोकने की बताई थी ये वजह

Ritu Singh

महाभारत में वैसे तो कई पाप हुए लेकिन एक महापाप ऐसा था जिसके भागी भीष्म पितामह भी बन गए थे.

कौरवों से पांडवों की हार के बाद द्रौपदी का चीर हरण  महाभारत के महापाप में गिना गया था और इस महापाम के वक्त भीष्म भी वहीं मौजूद थे.

भीष्म पितामह जब कुरूक्षेत्र में बाणों की शय्या पर लेटे थे तब एक दिन युद्ध विराम के बाद सभी पांडव और द्रौपदी भीष्म पितामह से मिलने पहुंचे थे.  

इस दौरान शय्या पर लेटे हुए ही पितामह पांडवों को धर्म-अधर्म की, नीतियों की और ज्ञान की बातें बता रहे थे.

तब द्रौपदी ने कहा कि पितामह आज आप ज्ञान की बातें कर रहे हैं, लेकिन जिस दिन भरी सभा में मेरा चीर हरण हो रहा था, आप भी वहां थे, तब आपका ये ज्ञान कहां गया था

उस समय आप चुप क्यों रहे, मेरी मदद क्यों नहीं की, आपके सामने अधर्म हो रहा था, लेकिन आप कुछ भी क्यों नहीं कर सके?

तब भीष्म पितामह ने द्रौपदी से कहा था कि, उस समय मैं दुर्योधन का दिया अन्न खा रहा था.  वह अन्न जो पाप कर्मों के कमाया हुआ था.  ऐसा अन्न खाने की वजह से उनका मन-मस्तिष्क दुर्योधन के अधीन हो गया था.  

वह ये सब रोकना चाहते थे लेकिन दुर्योधन के अन्न ने उन्हें रोक दिया और ये अनर्थ हो गया.

भीष्म ने जवाब दिया कि अर्जुन के बाणों से मेरे शरीर से सारा रक्त बह गया.  ये रक्त भी दुर्योधन के दिए अन्न से ही बना था.  अब मेरे शरीर में रक्त नहीं है, मैं दुर्योधन के अन्न के प्रभाव से मुक्त हो गया हूं, इसीलिए आज ज्ञान की ये बातें कर पा रहा हूं.