Apr 13, 2024, 11:30 AM IST
हनुमान जी द्वापर युग यानी महाभारत काल में उपस्थित थे. कई कथाओं में इसका वर्णन मिलता है. बजरंगबली ने महाभारत काल के दौरान 5 पराक्रम किए थे.
महाभारत काल के समय पौंड्र नगरी का राजा पौंड्रक खुद को राजा और श्रीकृष्ण को शत्रु मानता था. श्रीकृष्ण के आदेश पर हनुमान जी पौंड्र नगरी पहुंच गए.
हनुमान जी ने पौंड्रक को चेतावनी दी कि वह खुद को भगवान मानना छोड़ दें और धर्म के मार्ग पर आ जाए. हनुमान जी ने उसके महल और नगरी को नष्ट कर दिया था.
बजरंगबली ने भीम का घमंड चूर किया था. एक बार भीम गंधमादन पर्वत के उस कमल सरोवार के पास पहुंच गए जहां हनुमान जी रहते थे. हनुमान जी उनके रास्ते में लेटे हुए थे.
भीम ने रास्ता देने के लिए कहा तब हनुमान जी ने कहा कि तुम तो बलशाली हो मेरी पूंछ हटाकर खुद अपना रास्ता बना लो. भीम हनुमान जी की पूंछ को हिला भी नहीं पाया था.
एक बार हनुमान जी ने बलराम जी का घमंड तोड़ा था. बलराम ने विशालकाय द्वीत वानर को एक मुक्के से मार दिया था तो उनके अंदर बल का घमंड आ गया था.
हनुमान जी ने द्वारिका की वाटिका में जाकर उत्पात मचाया था. बलराम जी उन्हें भगाने पहुंचे और दोनों के बीच गदा युद्ध हुआ. बलराम जी हांफने लगे. श्रीकृष्ण और रुक्मिणी ने प्रकट होकर बताया कि, यह पवनपुत्र हनुमान हैं.
अर्जुन का घमंड हनुमान जी ने चूर किया था. अर्जुन ने नदी पार करने के लिए बाणों का एक सेतु बनाया और रथ के साथ पार नदी पार की थी. तब उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई.
तब अर्जुन ने कहा कि अगर तुम्हारे चलने से ये बाणों का सेतु टूट गया तो मैं खुद को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर मानना छोड़ दूंगा. हनुमान जी के एक पग रखते ही बाणों का सेतु टूट गया था.
अर्जुने ने कहा कि, यदि भगवान राम इतने बड़े धनुर्धारि थे तो मेरी तरह बाणों का सेतु बना लेते. हनुमान जी ने बताया कि उस समय बहुत ही बलशाली वानर थे जिनके भार से बाण का सेतु टूट जाता.
हनुमान जी महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के कहने पर सूक्ष्म रूप में अर्जुन के रथ पर सवार थे. इसी कारण भीष्म और बाद में कर्ण के प्रहार के बाद भी उनका रथ सुरक्षित था.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.