May 16, 2024, 01:05 PM IST
लंका से कोसों दूर बैठे लक्ष्मण कैसे जामवंत और रावण की बातें सुन रहे थे?
Ritu Singh
इरामावतारम महर्षि कम्बन ने तमिल में लिखी है और इसमे उल्लेख है कि जामवंत एक बार रावण की नगरी लंका गए थे.
वहीं तुलसी ने अंगद का लंका भगवान राम का दूत बनकर जाने का जिक्र किया है. असल में भगवान राम के यज्ञ के लिए आचार्य बनने का निमंकत्रण लेकर ये लंका गए थे.
महर्षि कम्बन के इरामावतारम में लिखा है कि जब रावण को आचार्यत्व का निमंत्रण देने के लिए लंका जामवंत लंका गए तो
रावण ने पूछा कि ये यज्ञ क्या लंका पर विजय के लिए किया जा रहा है तो जामवंत ने हां कहते ये कहा कि
रावण ने क्रोध में कहा कि वह इतना बड़ा महामूर्ख नहीं की अपनी ही हार के लिए यज्ञ करे, तब जामवंत ने कहा
ये भी सच है कि वनवासी रामजी इस यज्ञ के लिए रावण को चुना है तो क्या रावण इसके काबिल है भी नहीं.
ये सुनते ही रावण आगबबूला हो गया है जामवंद को बंदी बनने ही जा रहा था जामवंत ने बताया कि
रावण! ध्यान रहे, मैं अभी एक ऐसे उपकरण के साथ यहां उपस्थित हूं, जिसके माध्यम से धनुर्धारी लक्ष्मण यह हम दोनों की यह वार्ता देख और सुन रहे हैं.
जब वह लंका आ रहे थे तभी से धनुर्वीर लक्ष्मण वीरासन में बैठे हुए हैं. उन्होंने आचमन करके अपने त्रोण से पाशुपतास्त्र निकाल कर संधान कर लिया है .
और ध्यान रहे रावण, यदि आप में से किसी ने भी मेरा विरोध की चेष्टा की तो यह पाशुपतास्त्र समस्त दानव कुल के संहार का संकल्प लेकर तुरन्त छूट जाएगा.
Next:
नवरात्रि की रात करें ये 1 महा उपाय, छप्परफाड़ बरसेगी धन-दौलत
Click To More..