Mar 12, 2024, 01:38 PM IST

Ramayana से सीखिए कैसा हो घर का मुखिया, Mahabharata से सीखें मुसीबतों को भेदना

Anamika Mishra

आजकल लोग खुद के फायदे के बारे में पहले सोचते हैं और बाद में परिवार के लिए सोचते हैं.

अगर कोई अपने फायदे से पहले परिवार के बारे में सोचता है, तो ऐसे इंसान के लिए सभी का नजरिया बदल जाता है और इससे आपस में प्रेम बढ़ता है. 

रामायण और माहाभारत के कुछ प्रसंग ऐसे हैं जिनसे हम परिवार में एकता और प्यार बनाए रखना सीख सकते हैं.

महाभारत के दौरान जब द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी तब अभिमन्यु बिना कुछ सोचे उस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अंदर चले गए.

अभिमन्यु जानते थे कि अगर इस चक्रव्यूह को नहीं तोड़ा गया तो पांडवों की हार निश्चित है. ऐसी स्थिति में अभिमन्यु ने जान की परवाह न करते हुए, परिवार के हित के लिए बलिदान दिया.

इसी तरह रामायण में लक्ष्मण ने आजीवन श्रीराम की सेवा की. वह सोते-जागते हर पल राम की सेवा में लीन रहते थे. 

ठीक इसी तरह उनका ही छोटे भाई शत्रुघ्न भरत की परछाई थे. शत्रुघ्न का पूरा जीवन भरत की सेवा में गुजरा. 

श्रीराम परिवार के मुखिया होने का सबसे अच्छा उदाहरण हैं. राजा दशरथ की मृत्यु के बाद, सबसे बड़े पुत्र होने के नाते श्रीराम परिवार के मुखिया बने.

वनवास के दौरान श्रीराम ने भरत को धर्म के अनुसार राज्य चलाने की सीख दी और  शत्रुघ्न को बड़े भाई भरत की आज्ञा मानने के लिए कहा.

इसके बाद वनवास से लौटने के बाद श्रीराम ने अपने सभी भाइयों को अलग-अलग राज्य स्थापित करवाया ताकि आगे चलकर किसी के मन में राज्य को लेकर कोई बुरी भावना न आए.

इसके बाद लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने भी श्रीराम को ही अपना आदर्श मानकर अपने-अपने राज्यों में रामराज्य की स्थापना की.