Jan 12, 2024, 06:39 PM IST

रामभक्त हनुमान ने ऐसा क्या किया था कि भगवान श्रीकृष्ण की बांह से रिसने लगा खून

Anurag Anveshi

युग चार हुए हैं. सबसे पहला सत्य युग जिसे लोग सत् युग भी कहते हैं. दूसरा त्रेता, तीसरा द्वापर और चौथा कहलाया कलि युग.

हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में हुआ था. इस युग में भगवान विष्णु के तीन अवतार वामन, परशुराम और भगवान श्रीराम भी हुए.

द्वापर में भगवान विष्णु के अवतार थे श्रीकृष्ण. इस युग में रामभक्त हनुमान की भी चर्चा है और वह भी बहुत रोचक ढंग से.

यह सब जानते हैं कि अर्जुन जैसा धनुर्धर द्वापर युग में दूसरा कोई नहीं था. अर्जुन को इस बात का घमंड हो चला था.

अर्जुन का घमंड तोड़ने को लेकर हनुमान जी की चर्चा है. कहते हैं कि अर्जुन और हनुमान जी द्वापर युग में मिले थे.

अर्जुन ने हनुमान जी से कहा कि राम ने समुद्र पर पत्थरों का पुल बनाया, क्यों नहीं उन्होंने तीर से पुल निर्माण कर दिया.

हनुमान ने कहा कि तीर से बना पुल इतना मजबूत नहीं होता कि वह वानर सेना का बोझ सहन कर ले. इसलिए पत्थर से बनाया.

अर्जुन ने कहा कि मैं तीर से ऐसा पुल बना देता. तब हनुमान जी ने कहा कि आपका पुल मुझ अकेले का बोझ नहीं उठा सकता.

इस चुनौती पर अर्जुन ने दनादन बाण चलाए और पुल बना दिया. हनुमान जी पुल पर उछलते-कूदते रहे, पर वह टिका रहा.

हनुमान जी लौट गए और अर्जुन का घमंड और बढ़ गया. वह खुश होकर यह बात श्रीकृष्ण से बताने के लिए उनकी ओर मुड़े.

अर्जुन ने देखा कि श्रीकृष्ण की बांह से खून रिस रहा है. वह चिंतित हुए और पूछा कि प्रभु किसने की आपकी ये हालत?

श्रीकृष्ण मुस्कुराए. अर्जुन को उनका बनाया पुल देखने को कहा जो वहां ध्वस्त था. अर्जुन ने आश्चर्य से श्रीकृष्ण को देखा.

कृष्ण ने बताया कि हनुमान जी के अंगूठे के बोझ से ही पुल भरभरा गया था. उसके बाद वे तो मेरी बांह पर उछल-कूद रहे थे.