Apr 20, 2024, 09:59 PM IST
महाभारत में कर्ण योद्धा होने के साथ ही बड़े दानवीर थे. इसके बावजूद हर जगह पर उनका अपमान हुआ.
पौराणिक कथा और शास्त्रों की मानें तो कर्ण को महाभारत में मिले अपमान की वजह उनका पूर्व जन्म में पापी होना था.
दरअसल महाभारत से पूर्व जन्म में कर्ण राक्षस थे. उन्हें सूर्य की कृपा प्राप्त थी. इसलिए उन्होंने कई ऐसे पाप किये जो बेहद बड़े थे.
दंभोद्भवा के पापों के बढ़ने पर नर नारायण ने उनके वध करने का जिम्मा उठाया. दंभोद्भवा का कवच टूटता और नर नारायण में से एक की मृत्यु होती. इस पर दूसरा भाई अपने तप से दूसरे को जीवित कर देता और दंभोद्भवा से युद्ध करने लगता तब तक दूसरा भाई तप करता रहता.
इस तरह से नर नारायण ने दंभोद्भवा के 999 कवच तोड़ दिये. इसके बाद दंभोद्भवा छिप गया. अगले जन्म वह कर्ण के रूप में कवच कुंडल के साथ पैदा हुआ.