May 12, 2024, 09:53 AM IST
महाभारत में धृतराष्ट्र का मंत्री क्यों लेता था पांडवों का पक्ष, जानें वजह
Nitin Sharma
महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध में कई ऐसे पात्र हैं, जिन्होंने इसमें अहम भूमिका निभाई.
इन्हीं में से एक कौरवों के पिता धृतराष्ट्र को युद्ध का सजीव वर्णन करने वाला संजय ही था. उनकी चर्चा अक्सर महाभारत में की जाती थी.
संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी. धृतराष्ट्र को उन पर सबसे ज्यादा विश्वास था. वह धृतराष्ट्र के मंत्री भी थे.
संजय धृतराष्ट्र का प्रिय होने के बावजूद नेकनीयती की वजह से हमेशा पांडवों के प्रति सहानुभूति रखते थे.
संजय ने ही कौरवों द्वारा द्रौपदी के चीर हरण करने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि यह कौरवों के कुल के नाश की वजह बनेगा.
संजय कभी भी सच कहने से पीछे नहीं हटते थे. वह धृतराष्ट्र के खास मंत्री होने के बाद भी हमेशा सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखते थे.
संजय महर्षि वेद व्यास के शिष्य और धृतराष्ट्र की राजसभा में शामिल थे. संजय विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र और जाति से बुनकर थे.
संजय श्रीकृष्ण के भक्त थे. वह पांडवों को सही मानते थे. उनके प्रति सहानुभुति रखते थे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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