Dec 10, 2023, 12:20 PM IST

महाभारत युद्ध में परशुराम के श्राप की वजह से हुई थी कर्ण की मृत्यु

Nitin Sharma

महाभारत की कथा में कर्ण का जिक्र जरूर किया जाता है. कर्ण पांडवों की मां कृंती और सूर्य पुत्र था. कर्ण का पालन पोषण सारथी ने किया था.

सारथी द्वारा कर्ण का पालन पोषण करने पर उन्हें सूत पुत्र ही कहा जाता था. उनके जन्म देने वाली माता और पिता की सच्चाई किसी को नहीं पता थी. वह जीवन भर सूतपुत्र रहे, जिसके चलते कर्ण को कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ा था. 

सूतपुत्र होने की वजह से कर्ण को कोई ज्ञान नहीं देना चाहता था. कोई भी उनका गुरु बनने के लिए तैयार नहीं था. लेकिन कर्ण की बचपन से ही धुनर्धर बनने की इच्छा थी. 

बताया जाता है कि कर्ण विद्या पाने के लिए भगवान परशुराम जी के पास पहुंच गये. जब उन्हें पता लगा कि परशुराम जी सिर्फ ब्राह्मण को शिक्षा देते हैं. तब कर्ण ने उनसे शिक्षा पाने के लिए झूठ बोल दिया.

भगवान परशुराम से धनुविद्या पाने के लिए कर्ण ने खुद को ब्राह्मण पुत्र बता दिया. इस पर परशुराम जी ने कर्ण को धनुविद्या दी.

धनुविद्या से लेकर तीरंदाजी में कर्ण में बहुत तेजी से कर्ण को पारंगत होता देख भगवान परशुराम ने उन्हें अपना प्रिय शिष्य चुन लिया.

एक बार परशुराम और कर्ण जंगल में अभ्यास कर रहे थे. इसी दौरान थकान होने पर दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गये. यहां परशुराम जी कर्ण की गोद में सिर रखकर सो गये. इसबीच ही कर्ण को एक कीड़े ने काट लिया, लेकिन गुरु की नींद न खुल जाये. इसके लिए कर्ण ने उफ तक नहीं की.

ऐसे में कर्ण के शरीर से निकला खून परशुराम जी तक पहुंचने पर उनका आंख खुल गई. उन्होंने पूछा कि तुमने मुझे जगाया क्यों नहीं, जैसे ही कर्ण ने उन्हें सारी बात बताई. परशुराम ने कहा कि तुम ब्राह्मण नहीं हो. यह सहनशीलता सिर्फ क्षत्रिय में ही है. तुमने मुझसे अपनी असली पहचान छिपाई है.

परशुराम जी ने कर्ण से उसकी असलियत पूछी तो उसने अपना झूठ स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि मैं सूतपुत्र हूं. कर्ण का झूठ सुनकर परशुराम जी ने कर्ण को श्राप दे दिया. 

परशुराम ने कहा कि उसने जो भी शिक्ष ग्रहण की है, जब कर्ण को इस विद्या की सबसे जरूरत पड़ेगी. तब वह इसे भूल जाएगा. वहीं तुम्हारा काल का समय होगा. यही वजह है कि महाभारत युद्ध में 17वें दिन कर्ण की मृत्यु हो गई.