द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के साक्ष्य आज भी मौजूद हैं.
हर कोई जानता है कि महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से हुई थी. वहीं कुछ पौराणिक कथाओं में दावा किया जाता है पांडवों की जीत के पीछे हनुमान जी का हाथ था.
हनुमान जी ही 18 दिनों तक अर्जुन के रथ पर सवार रहे और जैसे ही पांडवों की युद्ध में जीत हुई. बजरंगबली श्रीकृष्ण से विनती कर रथ से हनुमान उतर गये. इसके तुरंत बाद अर्जुन का रथ जलकर स्वाह हो गया.
ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर महाभारत में हनुमान जी क्यों और किसके कहने पर महाभारत युद्ध में आए थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में हनुमान जी श्रीकृष्ण के बुलाने पर आए थे. श्रीकृष्ण ने हनुमान जी और अर्जुन को द्वारका नगरी आने का निमंत्रण दिया.
जब यहां हनुमान जी पहुंचे तो अर्जुन उनसे मिलने पर भगवान श्रीराम का उपहास करने लगे. उन्होंने अपनी धनुर्विद्या का घमंड दिखाया. इस पर हनुमान जी क्रोधित हो गये.
हनुमान जी ने अर्जुन का घमंड दिया. वहीं श्रीकृष्ण ने हनुमान जी से महाभारत युद्ध में अर्जुन का साथ देने का आग्रह किया.
इस पर हनुमान जी ने श्रीकृष्ण ने सामने एक शर्त रखी. उन्होंने कहा कि इसके बदले उन्हें ज्ञान देना होगा. यही वजह है कि अर्जुन की आड़ में हनुमान जी को गीता का सार सुनाया.
महाभारत युद्ध के दौरान 18 दिनों तक झंडे के रूप में बजरंगबली अर्जुन के युद्ध पर बैठे रहे. जैसे ही अर्जुन की जीत हुई. भगवान श्रीकृष्ण ने उसे रथ से उतार दिया.
इसके बाद जैसे ही हनुमान जी रथ से हटे, अर्जुन का रथ धू धूकर जल गया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)