May 25, 2024, 12:28 PM IST
महाभारत का हर एक पात्र और सभी पात्रों से जुड़ी अलग-अलग कहानियां हैं.
बचपन में एकलव्य की एकाग्रता और लगन को देखते हुए गुरु द्रोण ने उन्हें एकलव्य नाम दिया था.
इसके बाद एकलव्य ने मन में ही गुरु द्रोण को अपना गुरु मान लिया था.
लेकिन जब एकलव्य गुरु द्रोण के पास धनुर्विद्या सीखने गए तो उन्होंने उनका तिरस्कार कर धर्नुविद्या सिखाने से मना कर दिया.
एकलव्य एक निषाद राजकुमार थे इस वजह से गुरु द्रोण ने धर्नुविद्या सिखाने से मना कर दिया.
एकलव्य के पिता का नाम हिरयण्धनु था, जो कि निषाद भील कबीले के राजा थे और कौरवों के राज्य में उनकी प्रतिष्ठा थी.
लेकिन गुरु द्रोण ने एकलव्य को केवल इसलिए धर्नुविद्या नहीं सिखाई क्योंकि वह निषाद पुत्र था.
इसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोण की मूर्ति बनाकर ही धर्नुविद्या सीखी लेकिन, बाद में गुरु द्रोण ने उनसे दक्षिणा के रूप में उनका अंगूठा मांग लिया.