Jul 8, 2024, 01:05 PM IST
Mahabharata Secrets Revealed: कर्ण की ये खूबियां अर्जुन में भी नहीं थीं
Anurag Anveshi
महाभारत में Karna का चरित्र बहुत प्रभावशाली है. पांडवों का ज्येष्ठ भ्राता होने के बावजूद उसे सूतपुत्र कहा गया.
इस उपेक्षा के बाद भी कर्ण अंतर्मुखी नहीं हुआ, बल्कि उसने कई स्तरों पर प्रतिरोध का अपना स्वर तीखा रखा.
कर्ण दानवीर तो था ही, वचनवीर भी था. महाभारत की कथा में उसकी ताकत और वचनवीरता के कई प्रसंग हैं.
कर्ण जब पैदा हुआ तो उसके शरीर पर कवच और कुंडल थे. यह दैवीय कुंडल भी कर्ण ने इंद्र को दान कर दिया.
कर्ण सूर्यपुत्र था. उसकी मां कुंती थी. लेकिन उसने दुर्योधन से दोस्ती निभाई और पांडवों के खिलाफ युद्ध में उतरा.
उसने मां कुंती को वचन दिया था कि युद्ध के बाद भी पांडव पांच ही रहेंगे. या तो मैं मारा जाऊंगा या फिर अर्जुन.
महाभारत युद्ध के 17वें दिन कर्ण ने युधिष्ठर और भीम को पराजित कर दिया था, लेकिन उनका वध नहीं किया.
इसके बाद उसने अर्जुन से युद्ध शुरू किया और तभी उसके रथ का पहिया रक्त से बने दलदल में फंस गया.
इस अवसर का अनुचित लाभ उठा अर्जुन ने निहत्थे कर्ण का वध कर दिया. इस तरह कर्ण ने अपना वचन निभाया.
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