कलयुग चरम पर पहुंचने के बाद पाप धीरे-धीरे कम होने लगेगा. फिर धीरे-धीरे लोग साधु पुरुषों की सेवा, दान, सत्य एवं प्राणियों की रक्षा में पुनः तत्पर होने लगेंगे. इससे धर्म के एक नए चरण की स्थापना होगी. जिस प्रकार धर्म की हानि हुई थी, उसी प्रकार धीरे-धीरे प्रजा धर्म की राह पर चलने लगेगी. और इस प्रकार धर्म को पूर्णरूप से अपना लेने पर हो जायेगा कलियुग का अंत.