Feb 16, 2024, 07:29 PM IST
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का त्योहार बेहद विशेष होता है. यह फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दषी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करते समय कभी भी शिवलिंग की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. यह वर्जित मानी जाती है. शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. इससे दोष लगता है.
भगवान शिव की पूजा या फिर अभिषेक में भूलकर भी शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे व्यक्ति पाप का भागीदार हो जाता है. भगवान शिव के गुस्से को झेलना पड़ता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने शंख से शंखचूड़ नाम के राक्षस का वध किया था. यही वजह हे कि भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय होते हैं. भगवान को बेलपत्र अर्पित करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है, लेकिन कभी भी व्यक्ति को फटे या छेद वाले बेलपत्र नहीं देने चढ़ाने चाहिए. इन्हें खंडित माना जाता है. इसलिए भगवान को हमेशा साफ बेलपत्र अर्पित करें. शिवलिंग पर पहले से चढ़े बेलपल को साफ कर फिर से चढ़ाया या इस्तेमाल में लिया जा सकता है.
भोलेनाथ की पूजा में भूलकर भी हल्दी, कुमकुम और रोली से लेकर टूटे हुए चावल अर्पित नहीं करने चाहिए. यह सभी स्त्री तत्व माने जाते हैं. इससे भगवान शिव नाराज होते हैं. व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो पाती है.
भोलेनाथ की पूजा अर्चना में भूलकर तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं करने चाहिए. शिव पूजा में इन्हें अर्पित करने की मनाही होती है. व्यक्ति को पूजा का फल प्राप्त नहीं हो पाता है.
केतकी और कनेर के फूलों का भी भगवान शिव की पूजा में इस्तेमाल करना वर्जित माना जाता है. ऐसा करने से भोलेनाथ रुष्ट हो जाते हैं. व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा में भांग, धूतरा, आक, शमी और बेलपत्र के पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए. इनके पत्तों को शिवलिंग पर अर्पित करने मात्र से ही सभी कष्ट और समस्याएं दूर हो जाती हैं. भगवान का अशीर्वाद प्राप्त होता है.