कुंडली में चंद्र, मंगल, रवि एवं बृहस्पति कमजोर हों तो गर्भ का टिकना मुश्किल हो जाता है
चंद्र, मंगल, रवि एवं बृहस्पति 'गर्भाधान' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बशर्ते कुंडली में संतान प्राप्ति के योग हों. चंद्रमा तिथि, रवि माह तथा बृहस्पति गर्भाधान का वर्ष बताता है. शनि एवं बृहस्पति की दशा गर्भ को पुष्ट करती है. स्त्री के मासिक धर्म का संबंध चंद्रमा के भ्रमण तथा मंगल के प्रभाव से है.
इनमें से किसी एक ग्रह के कमजोर होने से गर्भधान तो हो जाता है लेकि गर्भ ठहर नहीं पाता.
अगर बार-बार किसी का गर्भपात हो रहा हो तो उस महिला को गणपति और शिवजी की पूजा करनी चाहिए.
साथ ही गुरु बृहस्पति की पूजा हर गुरुवार को करनी चाहिए. साथ ही इस मंत्र को रोज 108 बार गर्भ धारण करते ही करते रहना होता है, जबतक बच्चे का जन्म नहीं होता.
रक्षा करो, रक्षा करो, यजमानों के प्रधान, रक्षा करो, तीनों लोकों के नेता, भक्त, अभय कर्ता, मुझे मृत्यु के सागर से बचाओ. ये मंंत्र गर्भ में शिशु की रक्षा करता है.
इस मंत्र के लिए गर्भवती महिला को भगवान शंकर के बाल गणेश की एक मूर्ति लानी होगी.इस मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर मंत्र का जाप करना है.