विवाह में नाड़ी दोष होता है खतरनाक, 3 चरण में होती हैं परेशानिया
Ritu Singh
हिंदू धर्म में शादी से पहले वर-वधु की कुंडली का मिलान किया जाता है और कम से कम 18 गुण मिलने पर ही विवाह किया जाता है.
लेकिन अक्सर प्रेम विवाह में लोग कुंडली मिलान नहीं कराते. लेकिन कुंडली में विवाह के लिहाज से सबसे खतरनाक नाड़ी मानी जाती है. सारे गुण न भी मिले तो भी एक बार विवाह चल सकता है लेकिन नाड़ी दोष होना सबसे खतरनाक माना जाता है.
ज्योतिष में नाड़ी दोष को विवाह के लिहाज से सबसे खतरनाक माना गया है. अगर वर-वधु में नाड़ी दोष हो तो विवाह करने से बहुत से नुकसान होते हैं. तो चलिए नाड़ी दोष के प्रकार जानें और ये भी किस चरण में दोष होने से क्या नुकसान होता है.
नाड़ी में 3 दोष होते हैं. आदि नाडी का गठन: चंद्रमा के अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा तथा पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में होने पर व्यक्ति की आद्य नाड़ी होती है.
मध्य नाडी का गठन: चंद्रमा के भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्व फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में होने पर व्यक्ति की मध्य नाड़ी होती है.
अंत्य नाडी का गठन: चंद्रमा जब कृत्तिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढा, श्रवण तथा रेवती नक्षत्र में हो तो व्यक्ति की अंत्य नाड़ी होती है.
आद्य नाड़ी दोष चिंता, विवाद, तलाक और संतान से संबंधित समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है.
मध्य नाड़ी दोष तलाक, दुर्घटनाओं और संतान से संबंधित समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है.
अंत्य नाड़ी दोष तलाक, साथी की मृत्यु और संतान से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है.