नागा साधुओं की तपस्या से जुड़ी ये बातें जानकर, खड़े हो जाएंगे रोंगटे
Nitin Sharma
सनातन धर्म में साधु संतों को सबसे ज्यादा मान सम्मान दिया जाता है. इसके पीछे की वजह इनका जप और तप भी है.
संतों की जब बात आती है तो इनमें कई तरह के संत और साधु होते हैं. सभी की अलग तपस्या और लाइफस्टाइल होता है.
जब बात साधुओं की तपस्या की आती है तो सबसे कड़ी तपस्या नागा साधुओं की मानी जाती है. इसके पीछे की वजह नागा साधु बनने के लिए घोर तपस्या और बलिदान हैं. आइए जानते हैं इनसे जुड़े तथ्य...
नागा साधुओं को अपना पिंड दान खुद करना होता है. इसके साथ ही कपड़ों का त्याग करना पड़ता है.
नागा साधु सर्दी या गर्मी किसी भी मौसम में शरीर पर धूनी या भस्म लपेटकर रहते हैं.
नागा साधु बनने में 12 सालों तक घोर तपस्या और नियमों का पालन करना पड़ता है. इनमें शुरू के 6 साल बहुत ही कड़े और महत्वपूर्ण होते हैं.
नागा साधु शुरुआत के 6 साल इस पथ पर चलने की जानकारी लेते हैं और उन पर अमल करते हैं. अगले 12 साल बाद कुंभ मेले में जाकर जीवनभर के लिए कपड़े त्याग देते हैं.
नागा साधु जीवन भर ब्रह्माचारी रहते हैं. इसी के बाद उन्हें महापुरुषों की उपाधि प्राप्त होती है.
नागा साधुओं को सिर्फ 7 घरों में भिक्षा मांगने की अनुमति होती है. इनसे न मिलने पर उन्हें भूखा ही रहना पड़ता है.