Mar 3, 2024, 07:54 AM IST

इस पक्षी के श्राप से अलग हो गये थे सीता-राम

Nitin Sharma

रामायण कई अलग अलग भाषाओं में लिखी गई है. यह ग्रंथ त्रेतायुग में श्री राम और माता सीता के पूरे जीवनकाल पर आधारित है. 

त्रेतायुग में किसी को भी दिया गया श्राप सच हो जाता था. व्यक्ति को उसे भोगना पड़ता था. 

इन्हीं कथाओं में बताया जाता है कि वनवास के बाद लौटी माता सीता को पति श्री राम का वियोग एक पक्षी के श्राप की वजह से सहना पड़ा था.

धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता सीता जब छोटी थी. तब उन्होंने गलती से एक मादा तोते को कैद कर लिया था. इसके चलते नर तोते ने माता को श्राप दिया और उसकी मृत्यु हो गई. 

कथाओं के अनुसार, जनक की पुत्री माता सीता अपने सहेलियों के साथ वन में खेल रही थी. इसी दौरान उन्हें एक मादा और नर तोते का जोड़ा पेड़ की डाल पर बैठा दिखाई दिया.

बाल रूप में सीता तोते और तोती को देखकर खुद को रोक नहीं पाई और उनके पास पहुंच गई. 

उन्होंने सुना की मादक और नर तोते उनके और श्री राम के बारें में बात कर रहे थे. मादक तोते ने बताया कि श्री राम का जन्म हो चुका है और उनका विवाह जनक की पुत्री सीता के साथ होगा. 

अपने संबंध में यह बातें सुनकर सीता को आश्चर्य हुआ. उन्होंने तोते कहा कि वह ही सीता है. उन्हें भविष्य के बारें में कैसा पता चला. तब तोते ने बताया कि उसकी पत्नी और वह महर्षि वाल्मीकि के आश्रम के पेड़ पर रहते थे. महर्षि वाल्मीकि ने जब अपने शिष्यों को यह बताया तो उन्होंने भी सुन लिया.

अपने भविष्य के बारे में और भी चीजें जानने के लिए सीता ने तोते के जोड़े को महल में रखने की इच्छा जताई, लेकिन तोते ने अस्वीकार कर दिया, लेकिन माता सीता अपनी जिद पर अड़ गई.

माता सीता ने जैसे ही तोते के जोड़े को पकड़ना चाहा, वह उड़ गये. इस दौरान माता सीता ने मादा तोते को पकड़ लिया. नर तोते ने छोड़ने की गुहार लगाई. 

जब माता सीता ने मादा तोते को नहीं छोड़ा तो नर तोते ने उन्हें श्राप दे दिया. उसने कहा जिस तरह आपकी वजह से मुझे मेरी गर्भवती पत्नी से अलग होना पड़ रहा है. उसी तरह आपको भी श्री राम अलग होना पड़ेगा. यह कहते ही तोते की मृत्यु हो गई. 

कहा जाता है तोते की इसी श्राप की वजह से माता सीता को श्रीराम का वियोग सहना पड़ा

 Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.