Dec 27, 2023, 08:18 PM IST

कौन है अयोध्या के राम मंदिर का मालिक

Kuldeep Panwar

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण अब आखिरी पड़ाव पर है. 22 जनवरी को इस मंदिर में रामलला विराजमान होंगे, जिसकी तैयारियां चल रही हैं.

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बाबरी मस्जिद की जगह उसी भूमि पर हो रहा है, जहां हजारों साल पहले भगवान श्रीराम का जन्म होने की बात मानी जाती है.

फैजाबाद कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के बीच के विवाद में एक पक्ष रामलला विराजमान को बनाया गया था. 

राम मंदिर परिसर करीब 70 एकड़ का है, जिसमें मुख्य भवन का निर्माण 2.7 एकड़ या करीब 54,700 वर्गफुट जमीन पर हो रहा है. सवाल उठ रहा है कि राम मंदिर की इस विशाल भूसंपत्ति का मालिक कौन है?

इस सवाल का जवाब हम देते हैं. केंद्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट  (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के हिसाब से यह ट्रस्ट ही राम मंदिर की पूरी जमीन का मालिकाना हक रखता है. मंदिर निर्माण के लिए जुटाए गए धन से लेकर खर्च तक का पूरा कार्य इसी ट्रस्ट की जिम्मेदारी है.

राम मंदिर का गर्भगृह मकराना मार्बल से बनाया जा रहा है, जिसका डिजाइन ऐसा है कि रामलला की मूर्ति पर रामनवमी यानी प्रभु राम के जन्म दिन पर सूर्य की पहली किरण का प्रकाश सीधा आएगा.

नागर शैली में बन रहे 235 फीट चौड़े, 360 फीट लंबे और 161 फीट ऊंचे राम मंदिर के मुख्य भवन का निर्माण राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से हो रहा है, जो हजारों साल तक टिके रहेंगे.

दावा किया जा रहा है कि पूरा बनने के बाद राम मंदिर दुनिया में तीसरा सबसे विशाल हिंदू मंदिर होगा. इसका डिजाइन अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार ने बनाया है, जो 15 पीढ़ी से मंदिरों के डिजाइन बना रहे हैं.

मंदिर में 6 फुट ऊंचा व 5 फुट चौड़ा 2100 किलो का विशाल घंटा लगेगा, जिसका निर्माण उत्तर प्रदेश के जलेसर में हुआ है. मंदिर में 500, 250 व 100 किलोग्राम वजन के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे. 

मंदिर के खिड़की-दरवाजे बनाने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर से सागौन की खास लकड़ी मंगवाई गई है, जो कई सदी तक किसी भी तरह से खराब नहीं होती और ना उसमें दीमक लगती है.

राम मंदिर गर्भ गृह में दो मूर्तियां रखी जाएंगी. एक प्रभु श्रीराम की वह मूर्ति है, जो 1949 से पहले मंदिर और फिर तंबू के अंदर मुकदमे का फैसला होने तक रखी रही, दूसरी नई बड़ी मूर्ति बन रही है.