त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के साथ ही रावण का काफी जिक्र किया गया है.
रावण संहिता के अनुसार, रावण राक्षस होने के साथ बड़ा तपस्वी और विद्वान था.
उसकी उम्र 50 या 100 साल नहीं बल्कि हजारों थी.
रावण ने 10 हजार साल तक भगवान शिव की तपस्या की थी. वह हर 1000 साल पर अपना एक शीश काट देता था.
उसकी इसी तपस्या को देखकर भगवान शिव के साथ ही ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे. तब रावण ने मांगा कि उसे देव, दैत्य, गंधर्व, नाग, नर, किन्नर और यक्ष कोई न मार सके.
इस पर ब्रह्मा जी ने रावण को वर दिया. उन्होंने कहा कि उसे नर वानर से खतरा रहेगा.
रावण ने 28800 वर्ष तक लंका पर शासन किया था.
शास्त्रा के अनुसार, रावण की आयु लंबी थी. वह 112 दिव्य वर्ष यानी 40000 हजार साल तक जीवित रहा था.