यह भीषण श्राप पाकर सरयू नदी भगवान शिव के चरणों में गिर गई. बोली, प्रभु जो हुआ, वह विधि के विधान के कारण हुआ है. इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. तब भगवान शिव ने सरयू से कहा, मैं केवल तुम्हें इतनी छूट देता हूँ कि अगर तुम्हारे जल में कोई स्नान करेगा, तो उसे पाप नहीं लगेगा.