Dec 27, 2023, 10:14 AM IST

श्रापित है सरयू नदी, जल के आचमन से मिलता है नर्क 

Ritu Singh

रामायण के उत्तरकांड में उल्लेखित है कि सरयू नदी श्रापित है और ये श्राप भगवान श्रीराम की मृत्यु के कारण दिया गया था.

रामचंद्रजी अपने तीनों भाइयों के साथ सरयू नदी में जल समाधि लिए थे.

भगवान रामचंद्र जी के साथ ही उस अयोध्या का कण-कण, जीव जंतु कीड़े मकोड़े तक सरयू में समा गये थे और वह अयोध्या खत्म हो गयी थी. 

इसलिए शिवजी ने सरयू को श्राप दिया था कि सरयू का जल किसी भी पूजा में शामिल नहीं होगा क्योंकि ये भगवान राम की मृत्यु का कारण बनी है.

यह भीषण श्राप पाकर सरयू नदी भगवान शिव के चरणों में गिर गई. बोली, प्रभु जो हुआ, वह विधि के विधान के कारण हुआ है. इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. तब भगवान शिव ने सरयू से कहा, मैं केवल तुम्हें इतनी छूट देता हूँ कि अगर तुम्हारे जल में कोई स्नान करेगा, तो उसे पाप नहीं लगेगा.

हां उसे पूण्य भी नहीं मिलेगा. पर पूरा श्राप सरयू नदी पर आज भी लागू है. कहीं भी यज्ञ होता है, तो उसके लिए सात नदियों का जल लाया जाता है. जिन सात नदियों का जल लाया जाता है, उनमें सरयू शामिल नहीं है. कुंभ, अर्धकुंभ जैसा कोई आयोजन सरयू के किनारे नहीं होता .

सरयू का जल वहां किसी भी मंदिर की पूजा में शामिल नहीं किया जाता. सभी नदियों की पूजा होती है. सरयू की नहीं होती.

सरयू नदी (अन्य नाम घाघरा, सरजू, शारदा) हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा मैदान में बहने वाली नदी है जो बलिया और छपरा के बीच में गंगा में मिल जाती है. अपने ऊपरी भाग में, जहाँ इसे काली नदी के नाम से जाना जाता है.