सीता-राम का था एक ही पुत्र, फिर दूसरा कैसे हुआ जुड़वा
Ritu Singh
भगवान-राम और देवी सीता जब 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन की खुशी के साथ देवी सीता के गर्भवती होने की खुशी भी थी.
देवी सीता 33 साल की उम्र में गर्भवती हुई थीं लेकिन अयोध्या की प्रजा के शक के चलते देवी को एक बार फिर अयोध्या छोड़कर तपोवन जाना पड़ा था. देवी वाल्मीकि आश्रम में चली गई थीं,
देवी सीता का प्रसव वाल्मीकि आश्रम में ही हुआ था और उस वक्त देवी ने केवल एक ही पुत्र को जन्म दिया था. ये पुत्र लव थे, लेकिन दूसरे पुत्र कुश का जन्म देवी के कोख से नहीं हुआ था.
वाल्मीकि रामायण में देवी के कुश पुत्र के होने की कथा कुछ और है. असल में केवल लव ही देवी के कोख से जन्मे थे. कुश का जन्म कैसे हुआ था, चलिए जानें.
एक दिन देवी सीता जंगल में लकड़ियां बीनने जा र ही थी तब उन्होंने महर्षि वाल्मीकि से अपने पुत्र लव को देखने के लिए कहा. देवी जब थोड़ा दूर गईं तो देखा वाल्मिकी अपने काम में लगे हैं और वह उनके पुत्र कुश को देख नहीं रहें.
तब देवी आईं और लव को अपने साथ ले गईं, लेकिन लव को ले जाते वाल्मीकि नहीं देख पाए. थोड़ी देर बाद जब वाल्मिकी मुड़े तो देखा लव वहां नहीं थें. यह देख वह घबरा गए कि अब वह देवी सीता को क्या जवाब देंगे.
इसी डर के कारण वाल्मीकि जी ने पास में पड़े कुशा (घास) को लिया और कुछ मंत्र पढ़ने के बाद एक ‘नया लव’ बना दिया. यह लव हूबहू पहले जैसे लव की तरह ही था. उन्होंने सोचा कि सीता के वापस लौटने पर वो उन्हें यही लव सौंप देंगे.
जब सीता आश्रम लौटीं तो उन्हें देख महर्षि चकित रह गए. उनके पास लव को पहले से ही देख वे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे. पूछने पर मालूम हुआ कि सीता जी लव को अपने साथ ही ले गई थीं.
लेकिन नए लव को देखने के बाद सीता जी अत्यंत प्रसन्न हुईं. कुशा के कारण जन्म होने की वजह से, उसका नाम ‘कुश’ रखा गया. और वह श्रीराम और सीता जी की दूसरी संतान के रूप में जाना गया.