रामायण की कथा को भगवान राम और रावण के बीच लंका में हुए युद्ध में अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक चिह्न माना जाता है.
रामायण में भगवान श्रीराम की वीरता के बखान के साथ ही कई महान योद्धाओं के बारे में बताया गया है, जिन्होंने रावण की सेना का विध्वंस किया था.
महर्षि वाल्मिकी की रामायण में जगह पाने वाले 5 लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें काल भी नहीं जीत पाया यानी ये आज भी धरती पर जिंदा मौजूद हैं.
इनमें पहला नाम बजरंग बली हनुमान का है, जिन्हें भगवान राम ने एक कल्प यानी 4 अरब 32 करोड़ साल तक जिंदा रहने का वरदान दिया था.
मान्यता है कि हनुमान आज भी हिमालय की ऊंची चोटियों पर जिंदा हैं. वे भेष बदलकर अयोध्या आते हैं और जगह-जगह राम कथाएं सुनते हैं.
रामायण में अपने भाई रावण को छोड़कर भगवान राम का साथ देने वाले विभीषण को भी अमरता का वरदान मिला हुआ था. वे भी जिंदा हैं.
लोमश ऋषि को भी पुराणों में अमर माना गया है. उनका जिक्र रामायण काल में ही नहीं महाभारत में भी आया है, जो उनके अमर होने की निशानी हैं.
लोमश ऋषि के शरीर पर बड़े-बड़े रोम (बाल) थे. उन्होंने भगवान शिव से वरदान पाया था कि मेरा एक रोम एक कल्प बाद गिरे और सारे रोम गिरने पर ही मेरी मृत्यु हो.
अग्निदेव के पुत्र जाम्बवंत भगवान राम की सेना के सबसे बुद्धिशाली योद्धा थे. भालू स्वरूप वाले जामवंत को कल्प के अंत तक जिंदा रहने का वरदान मिला है.
लोमश ऋषि के शिष्य काकभुशुण्डि ने भगवान विष्णु के वाहन भगवान गरुड़ को रामकथा सुनाई थी. उन्हें भी इच्छामृत्यु का वरदान हासिल है.
काकभुशुण्डि लोमश ऋषि के शाप से कौवा बन गए थे. बाद में लोमश ऋषि पछताए और उन्होंने काकभुशुण्डि को राम मंत्र के साथ इच्छामृत्यु का आशीर्वाद दिया.
कौए के शरीर में रहते हुए राममंत्र मिलने से काकभुशुण्डि को उस स्वरूप से प्रेम हो गया और वे शाप खत्म होने पर भी उसी रूप में रहने लगे थे.
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