Jul 20, 2024, 09:00 AM IST

कौरव नहीं ये देवता था अभिमन्यु की मौत का कारण

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध में सबसे भावुक पल कौरवों के चक्रव्यूह के अंदर अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की वीरगति थी, जिसने बच्चा होकर भी सारे योद्धाओं को धूल चटा दी थी.

अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदने की शिक्षा अपनी माता सुभद्रा के गर्भ में रहते हुए तब हासिल कर ली थी, जब अर्जुन सुभद्रा को इसके बारे में समझा रहे थे.

अर्जुन जब चक्रव्यूह के आखिरी द्वार को तोड़कर बाहर आने के बारे में बता रहे थे, तभी सुभद्रा को नींद आने से अभिमन्यु इसे नहीं सीख सके थे.

इसी कारण जब अभिमन्यु गुरु द्रोण के चक्रव्यूह में महारथियों को हराते हुए आखिरी दरवाजे तक पहुंचे तो वहीं फंस गए और उन्हें वीरगति मिली थी.

हर कोई ये मानता है कि अभिमन्यु के प्राण श्रीकृष्ण के कारण गए थे, जो अर्जुन के चक्रव्यूह में फंसने से बचाने के लिए जानबूझकर दूसरी जगह ले गए थे.

असल में अभिमन्यु के इतनी कम उम्र में वीरगति पाने के लिए श्रीकृष्ण नहीं बल्कि वो देवता जिम्मेदार थे, जिनके अंश के तौर पर अभिमन्यु पृथ्वी पर अवतरित हुए थे.

मान्यता है कि महाभारत के धर्मयुद्ध में अपना योगदान देने के लिए सभी देवताओं ने ब्रह्माजी के आदेश पर किसी ने किसी रूप में जन्म लिया था.

पौरोणिक कथा के मुताबिक, अभिमन्यु के रूप में चंद्रमा के पुत्र वर्चा ने जन्म लिया था, लेकिन इसके लिए चंद्रमा ने एक शर्त रखी थी.

चंद्रमा ने देवताओं से कहा, मेरा पुत्र धर्म के इस काम से पीछे नहीं हट सकता, लेकिन वो मुझे प्राणों से भी ज्यादा प्यारा है तो मैं ज्यादा दिन तक उससे दूर नहीं रह सकता.

चंद्रमा ने कहा, मेरा पुत्र भगवान इंद्र के नरावतार यानी अर्जुन का पुत्र बनेगा और अपनी वीरता से बड़े-बड़े महारथियों को चकित कर देगा.

चंद्रमा ने इसके बाद एक शर्त रखते हुए कहा कि महाभारत के युद्ध में दिनभर हैरतअंगेज वीरता दिखाने के बाद उसे शाम को वीरगति मिल जाएगी.

चंद्रमा ने कहा कि मेरे पुत्र को बचाने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में मौजूद भगवान विष्णु हस्तक्षेप नहीं करेंगे और वह मेरे पास वापस लौट आएगा.

कथा के मुताबिक, चंद्रमा की बात देवताओं को माननी पड़ी और इसी कारण अभिमन्यु चक्रव्यूह में पराक्रम दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए.

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