Aug 23, 2024, 09:41 PM IST
उनकी धनुर्विद्या से भयभीत होकर देवराज इंद्र ने उनकी साधना भंग करने के लिए नामपदी नामक एक देवकन्या को उनके पास भेजा.
भीष्म ने इन्हीं कृप को पाण्डवों और कौरवों की शिक्षा-दीक्षा के लिए नियुक्त किया और वे कृपाचार्य के नाम से जाने गए.