चक्रव्यूह रचना सीखाने के लिए पांडवों के सामने द्रोणाचार्य ने क्या शर्त रखी थी?
Ritu Singh
द्रोणाचार्य पांडव-कौरवों के साथ ही अश्वस्थामा के भी गुरु थे और अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा सभी ने इन्हीं से लिया था.
लेकिन गुरु द्रोण पर बेटे के साथ पक्षपात का भी आरोप था और यही कारण था अश्वस्थामा ब्रह्मास्त्र की पूरी शिक्षा नहीं ले पाया था.
द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह सीखाने में भी पक्षपात किया था और इसलिए पांडवों और कौरवों के सामने शर्त रखी थी.
जब द्रोण को कौरव और पांडव को चक्रव्यूह की रचना और उसे तोड़ने के तरीके सिखाना था.
तो उन्होंने शर्त रखी थी की जो भी राजकुमार नदी से घड़ा भरकर पहले पहुंचेगा उसे ही चक्रव्यूह की रचना सिखाई जाएगी.
सभी राजकुमारों को बड़े घड़े दिए लेकिन अश्वत्थामा को छोटा घड़ा दिया ताकि वो जल्दी से भरकर पहुंच सके.
अर्जुन गुरु द्रोण की चाल समझ गए और उन्होंने तेजी दिखाई और तुरंत घड़ा भरकर पहुंचे और साथ ही अश्वस्थामा भी पहुंचा.
द्रोणाचार्य ने तब अर्जुन और अश्वस्थामा को ये शिक्षा देनी पड़ी थी और यही कारण था कि चक्रव्यू भेदना और बाहर निकलना केवल अर्जुन और अश्वस्थामा को ही आता था.