श्री कृष्ण के बैकुंठ जाने के बाद कहां गईं उनकी पत्नियां
Anamika Mishra
महाभारत की कथाओं के मुताबिक जब श्री कृष्णा और बलराम बैकुंठ लौट गए तब वासुदेव जी ने अर्जुन को द्वारका बुलाया था.
यदुवंशियों के आपसी युद्ध में सब कुछ समाप्त हो गया था, पुरुषों में सिर्फ वासुदेव और कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ही बचे थे.
कृष्ण अपनी आठ पत्तियों रुक्मिणी, सत्यभामा, जामवंती, भद्रा, कालिंदी, मित्रबिंदा सत्या और लक्ष्मणा को पीछे छोड़ गए थे.
इसके बाद अर्जुन द्वारका पहुंचे. अर्जुन के द्वारका पहुंचते ही रोती-बिलखती स्त्रियों ने उन्हें घेर लिया.
तब वासुदेव जी ने अर्जुन से कहा कि वो कृष्ण की आठों पत्नियों समेत सभी स्त्रियों और बच्चों को इंद्रप्रस्थ ले जाएं. इसके बाद वासुदेव जी ने भी देह त्याग दिया.
द्वारका वासियों को इंद्रप्रस्थ ले जाने के लिए अर्जुन ने कई वाहनों का इंतजाम किया.
द्वारका से बाहर निकालते ही पूरी नगरी समुद्र में डूब गई. इसके बाद अर्जुन ने पंचनद देश में पड़ाव डाला.
लुटेरों को जैसे ही इस बात की खबर मिली उन्होंने पड़ाव पर धावा बोल दिया. उन्होंने धान के साथ कई स्त्रियों का अपहरण भी कर लिया.
ये सब देख कृष्ण की पत्नियां बेहद दुखी हुईं. इसके बाद रुक्मणी और जामवंती ने अग्नि में प्रवेश कर लिया. जबकि सत्यभामा और दूसरी देवियां तपस्या करने वन में चली गईं.