Jul 31, 2024, 05:54 PM IST
कर्ण की मौत के बाद कहां रखे हैं उनके कवच और कुंडल?
Rahish Khan
कर्ण (Karna) महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में से एक थे. उनके किस्से आज भी लोगों के जहन में हैं.
कर्ण पाड़वों के बड़े भाई थे. उनकी खासियत ये थी कि वो कभी भी दान देने से पीछे नहीं हटते थे.
कर्ण के पास सबसे बड़ी ताकत उनके कुंडल और कवच थे. जिसकी वजह से उन्हें दुनिया का कोई भी योद्धा नहीं हरा सकता था.
कर्ण का जन्म माता कुंती और सूर्य के अंश से हुआ था. जन्म से ही उनके साथ कवच और कुंडल आए.
अर्जुन के पिता और देवराज इंद्र ने छल-कपट से कर्ण से कवच और कुंडल मांग लिए थे. दानवीर होने की वजह से कर्ण ने भी देने मना नहीं किया.
कवच और कुंडल नहीं होने की वजह से वह कमजोर हो गए. इसके बाद कृष्ण के इशारे पर अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया था.
कर्ण की मृत्यु के बाद जब देवराज इंद्र स्वर्ग में प्रवेश करने लगे तो उन्हें रोक दिया गया. क्योंकि उन्होंने झूठ बोलकर कवच-कुंडल प्राप्त किए थे.
इसके बाद उन्होंने समुद्र के किनारे किसी स्थान पर कर्ण के कवच-कुंडल को छिपा दिया. जहां सूर्य देव और समुद्र देव दोनों इनकी रक्षा करते हैं.
ऐसी मानता है कि कवच और कुंडल पुरी के निकट कोणार्क मंदिर में छिपाया गया है, जहां कोई इन तक नहीं पहुंच सकता.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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