महाभारत को आज तक का दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है, जिसमें दोनों विश्व युद्ध में मरे लोगों से भी कई गुना ज्यादा योद्धा मारे गए थे.
महाभारत युद्ध का कारण हस्तिनापुर की राजगद्दी के लिए कौरवों-पांडवों के बीच का झगड़ा माना जाता है, लेकिन इसका एक कारण द्रौपदी का चीरहरण भी था.
द्रौपदी ने चीरहरण के बाद पांडवों को धिक्कारते हुए कहा था कि जब तक मैं साड़ी खींचने वाले दुशासन के खून से अपने केश नहीं धो लूंगी, तब तक ये केश खुले रहेंगे.
इस धिक्कार के कारण ही पांडव कुरुक्षेत्र में युद्ध करने उतरे, जिसमें भीम ने दुशासन की छाती चीरकर उसका रक्तपान करने और दुर्योधन की जांघ को गदा से तोड़ने की कसम खाई थी.
कुरुक्षेत्र में जब कौरवों-पांडवों के बीच युद्ध चल रहा था, तब द्रौपदी कहां रहती थीं और पांडवों की मां कुंती व कौरवों की मां गांधारी क्या करती थीं?
दरअसल भीम की कसम पूरी होने पर दुशासन की छाती के रक्त से केश धोने का मौका न जाने कब मिल जाए, इस इंतजार में द्रौपदी युद्ध के दौरान पांडवों के शिविर में ही रहती थीं.
रात के समय द्रौपदी भी वहां मौजूद रहती थीं, जहां पूरे दिन के युद्ध की चर्चा की जाती थी और अगले दिन के लिए रणनीति तय की जाती थी.
द्रौपदी भी युद्ध की सभी कलाओं में पारंगत थी. इस कारण रात के समय वह पांडवों को युद्ध की रणनीति तय करने में सलाह भी दिया करती थीं.
महाभारत के युद्ध के आखिरी दिन दुर्योधन जिस सरोवर में छिपा था, वहां भीम ने उसे जाकर युद्ध के लिए ललकारा था. तब वहां भी द्रौपदी पांडवों के साथ मौजूद थीं.
द्रौपदी के सामने ही भीम ने गदा युद्ध के दौरान नियम तोड़कर दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया था, जिससे उसकी जांघ टूट गई थी और वो मर गया था.
कुंती और गांधारी भी युद्ध के दौरान सेनाओं के शिविर में आती थीं, लेकिन वे कभी-कभी तब ही आती थीं, जब परिवार का कोई योद्धा मर जाता था.
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