Dec 30, 2023, 08:22 PM IST

हनुमान जी पर भारी पड़ने वाला अतिकाय कौन था

Kuldeep Panwar

रामायण में भले ही रावण को अपने अहंकार और अधर्म की राह पर चलने के कारण श्रीराम की वानर सेना के हाथों परास्त होना पड़ा हो, लेकिन उसके खेमे में योद्धाओं की कमी नहीं थी.

रावण के बेटे मेघनाद से जहां इंद्र तक डरते थे, वहीं खुद रावण से तीनों लोक कांपते थे. रावण के भाई कुंभकर्ण के युद्ध कौशल और ताकत की चर्चा भी हर तरफ थी.

इन सबके अलावा रावण के खेमे में एक और योद्धा ऐसा था, जो महावीर हनुमान जी पर भी भारी पड़ गया था. यह योद्धा था अतिकाय, जो रावण का ही बेटा था.

अतिकाय रावण की पत्नी मंदोदरी का बेटा नहीं था, बल्कि यह लंका के राजा रावण की दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का पुत्र था. अतिकाय में राक्षस गुण ज्यादा थे.

अतिकाय भी रावण की तरह तपस्या के दम पर बेहद शक्तिशाली बन गया था. उसे ब्रह्माजी ने ब्रह्म कवच दिया था, जिसके ऊपर दुनिया का हर दिव्यास्त्र बेअसर था.

अतिकाय ने शिवजी समेत तमाम देवताओं को प्रसन्न कर उनसे अस्त्र-शस्त्र हासिल किए थे. इसके चलते भी उसे अजेय योद्धा माना जाता था.

श्रीराम की वानर सेना ने जब लंका पर चढ़ाई की तो रावण ने अतिकाय को भेजा था. तब अतिकाय की भिड़ंत हनुमान जी से हुई थी, लेकिन यह लड़ाई बराबरी पर खत्म हुई थी यानी कोई भी जीता या हारा नहीं था.

हनुमान जी संग अतिकाय का युद्ध तभी खत्म हो सकता था, जब किसी एक का अंत हो जाता. लेकिन अतिकाय ने श्रीराम और लक्ष्मण के आने पर हनुमान जी से युद्ध बीच में ही छोड़ दिया था.

अतिकाय ने हनुमान जी से युद्ध छोड़कर श्रीराम को चुनौती दी थी, जिसका सामना करने के लिए लक्ष्मण उससे भिड़ गए थे. दोनों में भयंकर लड़ाई हुई थी.

अतिकाय ने मायावी ताकत का इस्तेमाल किया और आसमान में जाकर वहां से हमला करने लगा. हनुमान जी अपने कंधे पर बैठाकर लक्ष्मण को भी आसमान में ले गए और वहीं भयंकर युद्ध हुआ.

अतिकाय और लक्ष्मण के युद्ध का अंत होता हुआ ही नहीं दिख रहा था. इसके बाद देवताओं ने लक्ष्मण को अतिकाय का अंत करने का उपाय बताया था.

देवताओं ने लक्ष्मण को बताया कि अतिकाय के ब्रह्म कवच पर केवल ब्रह्मास्त्र का ही असर हो सकता है. इसके बाद लक्ष्मण ने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया, जिससे अतिकाय का अंत हुआ था.

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