ये 5 लोग आज तक भुगत रहे हैं माता सीता का दिया श्राप
Ritu Singh
देवी सीता ने भगवान राम के समक्ष झूठ बोलने के कारण 5 लोगों को श्राप दिया था.
ये श्राप आज भी लोग भुगत रहे हैं और इसके पीछे क्या वजह है, चलिए जानें.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष में श्राद्ध के लिए गया गए थे.
तब महा ब्राह्मण ने राम और लक्ष्मण को श्राद्ध कर्म के लिए सामग्री जुटाने के लिए कहा. सीता जी नदी किनारे उनका इंतजार करने लगीं.
इसी दौरान भूख से व्याकुल पितृदेव दशरथ ने सीता से पिंड की मांग कर दी. दशरथ की व्याकुलता देख सीता जी ने ससुर को पिंड दान का निर्णय लिया.
उन्होंने रामजी के आने में देरी देखकर फल्गू नदी, वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण व गाय को साक्षी मानकर ससुर का पिंडदान कर दिया.
राम जब लौटे तो उन्होंने सीता पर विश्वास नहीं किया तो उन्होंने सभी छह गवाहों से सच बताने को कहा लेकिन,
फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय और ब्राह्मण श्राद्धकर्म की जानकारी न होने का झूठ बोल दिया लेकिन वटवृक्ष ने सीता जी का साथ दे कर सच बता दिया.
पांचों साक्षी के झूठ बोलने पर सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दे दिया. फल्गू नदी को श्राप दिया कि वह सिर्फ नाम की नदी रहेगी. उसमें पानी नहीं रहेगा.
गाय को श्राप दिया कि खाने के लिए दर बदर भटकना होगा और जूठन खाना होगा.
सीता ने गया के महाब्राह्मण को कभी भी संतुष्ट न होने का श्राप दिया. इसी कारण महाब्राह्मण कभी दान दक्षिणा के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं.
सीता ने तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया की मिट्टी में नहीं उगेगी. कहा जाता है आज गया कि मिट्टी में तुलसी उगते ही सूख जाती हैं.
वहीं. कौए को हमेशा लड़ झगड़ कर, जूठन खाने का श्राप दिया था.