तुलसीदास जी ने संस्कृत में क्यों नहीं लिखी श्रीरामचरितमानस
Nitin Sharma
हिंदू धर्म के कई ग्रंथ और शास्त्रों को संस्कृत में लिखा गया है. इसकी वजह संस्कृत से ही कई भाषाओं का निर्माण हुआ है.
लेकिन हिंदू धर्म के अहम ग्रंथ श्रीरामचरितमानस को संस्कृत में नहीं लिखा गया है.
श्रीरामचरितमानस की रचना तुलसीदास जी ने की थी, लेकिन ये संस्कृत में क्यों नहीं लिखी. आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा है तो आइए जानते हैं इसकी वजह...
दरअसल श्रीरामचरितमानस को संस्कृत की जगह तुलसीदास जी ने अवधी में लिखा है.
बताया जाता है कि तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना संस्कृत में ही करना शुरू की थी.
लेकिन जब भी तुलसीदास जी श्रीरामचरितमानस को संस्कृत में लिखते. उसके अगले ही दिन वह सब मिट जाता था.
ऐसा देखते हुए तुलसीदास जी को 7 दिन बीत गये. आठवें दिन तुलसीदास जी के सपने भगवान शिव और मां गौरी आये. उन्होंने तुलसीदास जी को आदेश दिया कि श्रीरामचरितमानस को संस्कृत में न लिखें.
भगवान ने उन्हें संदेश दिया कि इसे संस्कृत मत लिखिये. इसकी जगह जनमानस भाषा में इसे लिखें, जो हर कोई इसे पढ़ सके.
इसी के बाद तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस को अवधी भाषा में लिखा, जिसे ज्यादा से ज्यादा लोग आज पढ़ सकते हैं.