Mar 12, 2024, 01:13 PM IST

शिवजी ने अपनी जटाओं में ही क्यों बांधा था गंगा की धार को?

Smita Mugdha

हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और इसे देवी का दर्जा मिला है. 

उत्तर भारत में गंगा का महत्व  धार्मिक कारणों से नहीं है बल्कि लंबे समय तक यह बड़े हिस्से में सिंचाई का साधन भी रही. 

हम सब जानते हैं कि ऋषि भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा को भूलोक पर ले जाने की अनुमति दी थी. 

क्या आप जानते हैं कि गंगा नदी को शिवजी ने भूलोक पर भेजने से पहले अपनी जटाओं में क्यों बांधा था? 

देवलोक से गंगा को भूलोक पर भेजने पर उसके तीव्र प्रवाह से सब कुछ उसमें समा जाता और धरती पर बड़ी तबाही मच सकती थी.

ऐसे में एक बार फिर शिवजी ने भूलोक और देवलोक दोनों के कल्याण के लिए पहले गंगा को अपनी जटाओं में बांधा था. 

शिवजी की जटाओं में उलझने की वजह से गंगा का तीव्र प्रवाह संतुलित हो गया और फिर उसे भूलोक पर लाया जा सका. 

मान्यता है कि अपने उद्गम स्थल पर गंगा का प्रवाह तूफानी और बेहद चंचल है, क्योंकि वह देवलोक से पहली बार पृथ्वी पर उतरती हैं.

जैसे-जैसे गंगा नदी मैदानी हिस्सों की ओर बढ़ती है उसका प्रभाव भी धीरे-धीरे कम होने लगता है.