Jul 19, 2024, 01:34 PM IST

द्रोणाचार्य के वध के लिए पांडवों को क्यों करना पड़ा छल?

Abhay Sharma

महाभारत के युद्ध में कई ऐसे योद्धा भी शामिल हुए, जिनका वध बगैर छल किए नहीं किया जा सकता है. ऐसे ही एक योद्धा था गुरु द्रोणाचार्य. 

महाभारत कथा के अनुसार भीष्म की मृत्यु के बाद कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य बने. द्रोणाचार्य कौरव और पांडवों दोनों के ही गुरु थे.   

भीष्म के जैसे ही द्रोणाचार्य भी पांडवों के मार्ग में बड़े बाधक बने हुए थे और उन्हें युद्ध में पराजित कर पाना बेहद मुश्किल था. 

एक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि द्रोणाचार्य को केवल उनका शोक ही मार सकता था, इसलिए पांडवों ने द्रोणाचार्य के साथ छल किया.  

भीम ने अश्वत्थामा नाम के हाथी को मार दिया और द्रोणाचार्य के पास जाकर कहा अश्वत्थामा मारा गया, बता दें द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम भी अश्वत्थामा था.  

द्रोणाचार्य को भीम की बात भरोसा नहीं हुआ तो उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा, तब युधिष्ठिर ने कहा कि हां अश्वत्थामा मारा गया, लेकिन यह नर या हाथी भी हो सकता है.  

जब युधिष्ठिर यह बात बता रहे थे तो उसी समय भगवान श्रीकृष्ण ने शंखनाद कर दिया और द्रोणाचार्य आखिरी वाक्य को सही से सुन नहीं पाए. 

ऐसे में द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और अपने अस्त्र-शस्त्र रख दिए. इस मौके का फायदा उठाकर द्रौपद के भाई धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.