Apr 13, 2024, 03:42 PM IST

पिछले जन्म का वरदान या शाप, किस कारण मिले थे द्रौपदी को 5 पति?

Kuldeep Panwar

महाभारत में पांच पांडव भाइयों की एक ही पत्नी द्रौपदी थी, जिसके भरी सभा में कौरवों द्वारा वस्त्र हरण को युद्ध का सबसे बड़ा कारण मानते हैं.

द्रौपदी पांचाल राज्य के राजा द्रुपद की बेटी थी, जो राजा के यज्ञ कराने पर अग्नि से अपने जुड़वां भाई धृष्टुधुमन के साथ प्रकट हुई थीं.

द्रौपदी के बड़ा होने पर राजा द्रुपद ने कांपिल्य नगरी में उसका स्वयंवर रखा था. यह स्थान मौजूदा उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर के करीब है.

स्वयंवर में तेल से भरी कड़ाही में देखकर ऊपर घूम रही मछली की आंख में सटीक निशाना लगाने वाले से ही द्रौपदी का विवाह होने की शर्त थी.

ब्राह्मण वेश में स्वयंवर में पहुंचे पांडव भाइयों में से अर्जुन ने सभी राजाओं के विफल रहने पर मछली की आंख में निशाना लगाकर शर्त पूरी की थी.

स्वयंवर से द्रौपदी को साथ लेकर पांचों पांडव जब वन में कुटिया पर पहुंचे तो बिना देखे माता कुंती ने भिक्षा में मिली चीज को आपस में बांटने का आदेश दिया.

कुंती के इस आदेश के कारण ही द्रौपदी का विवाह पांचों पांडव भाइयों से हुआ. बेटी का विवाह 5 लोगों से होने पर द्रुपद बेहद नाराज हो गए.

भगवान श्रीकृष्ण ने इसके बाद द्रौपदी के जन्म और उसका एकसाथ 5 लोगों से विवाह होने के पीछे का कारण सभी को बताया, जो पूर्वजन्म से जुड़ा था.

श्रीकृष्ण ने बताया कि द्रौपदी स्वर्गलोक के राजा इंद्र की पत्नी यानी इंद्राणी शची का अंश हैं, जबकि पांचों पांडव भी खुद इंद्र देव के ही अंश हैं.

महाभारत के आदि पर्व के मुताबिक, द्रौपदी पूर्व जन्म में इंद्रसेना थी, जिसने पति की अल्पायु में मृत्यु होने पर भगवान शंकर की तपस्या की थी.

भगवान शंकर ने प्रकट होने पर इंद्रसेना को वरदान मांगने के लिए कहा तो उसने भगवान शिव से एक ही वरदान में लपेटकर 5 वरदान मांग लिए.

इंद्रसेना ने ऐसा पति मांगा, जो धर्म का चिन्ह हो, सत्य का संकेतक्षर हो, हनुमान जैसा बलवान, परशुराम जैसा धनुर्धर, बेहद सुंदर और सबसे सहनशील हो.

यह सारे गुण एक ही व्यक्ति में होना संभव नहीं था, फिर भी महादेव ने उसे अगले जन्म में 5 गुणों से भरा पति मिलने का वरदान दिया.

श्रीकृष्ण बताते हैं कि इसी कारण द्रौपदी को 5 पति मिले, जो भगवान इंद्र को मिले एक श्राप के कारण उनके अंश के तौर पर धरती पर जन्मे हैं.

श्रीकृष्ण ने यह भी बताया कि द्रौपदी का 5 पतियों से विवाह उसके वरदान का फल भी है और बिना सोचे-समझे मांगने की गलती का प्रायश्चित भी.