Jul 9, 2024, 10:04 PM IST

द्रोणाचार्य को क्यों बनाया गया कौरवों और पांडवों का गुरु?

Smita Mugdha

महाभारत के युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों की ओर से लड़ाई की थी लेकिन वह पांडवों के भी गुरु थे. 

द्रोणाचार्य को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गुरु माना जाता है और उन्हें ही कौरवों और पांडवो को शिक्षा देने के लिए चुना गया था. 

क्या आप जानते हैं कि द्रोणाचार्य के किन गुणों को देखते हुए उन्हें राजकुमारों का गुरु बनाने के लिए चुना गया था? 

द्रोणाचार्य धनुर्विद्या, युद्धनीति समेत तमाम विद्याओं में निपुण थे और उन्हें हरा पाना किसी के लिए भी नामुमकिन था. 

द्रोणाचार्य को शस्त्र विद्या, युद्ध शास्त्र, समुद्र शास्त्र और युद्ध कला का ज्ञान खुद परशुराम ने दिया था. 

द्रोणाचार्य युद्ध कला में इतने निपुण थे कि अगर चारों ओर अंधकार छा जाए, तो आवाज सुनकर दुश्मनों को परास्त कर सकते थे. 

द्रोणाचार्य में युद्ध कला की निपुणता के साथ चारित्रिक गुण भी था और वह बेहद ईमानदार और युद्ध नीतियों का पालन करने वाले थे. 

यही वजह है कि उन्हें पांडवों और कौरवों को युद्ध में निपुण करने के लिए आचार्य बनाया गया था.

द्रोणाचार्य महाभारत  के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे, लेकिन वह दिल से हमेशा पांडव भाइयों के साथ ही रहे थे.